Resistors किसी पदार्थ की वह विशेषता, जो उसमें विद्युत आवेश के प्रवाह का विरोध करती है, Resistors कहलाती है। प्रतिरोध का मात्रक ओम (Ohm) होता है, जिसे ग्रीक चिन्ह “Ω” द्वारा दर्शाया जाता है। प्रत्येक पदार्थ, चाहे वह किसी भी आकार या प्रकार का हो, किसी-न-किसी मात्रा में प्रतिरोध अवश्य रखता है।
कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जिनमें प्रतिरोध पूरे पदार्थ में समान रूप से वितरित होता है, जबकि अन्य पदार्थ — विशेषकर अशुद्ध या जिनकी संरचना (constitution) असमान होती है — उनमें प्रतिरोध का मान स्थान-स्थान पर भिन्न हो सकता है।
किसी पदार्थ का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है:
- पदार्थ की प्रतिरोधकता (Resistivity):
यह एक स्थायी भौतिक गुण होता है, जो यह दर्शाता है कि कोई पदार्थ विद्युत प्रवाह का कितना विरोध करता है। तांबा और चाँदी जैसे पदार्थों की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है, इसलिए ये अच्छे चालक (conductors) होते हैं। वहीं रबर जैसे पदार्थों की प्रतिरोधकता अधिक होती है, जिससे वे कुचालक (insulators) कहलाते हैं। - पदार्थ की लम्बाई (Length):
प्रतिरोध, लम्बाई के सीधे अनुपाती होता है। अर्थात्, किसी चालक की लम्बाई जितनी अधिक होगी, उसका प्रतिरोध भी उतना ही अधिक होगा। - अनुप्रस्थ क्षेत्रफल (Cross-sectional Area):
प्रतिरोध, क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात्, किसी चालक का व्यास (thickness) जितना अधिक होगा, उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा क्योंकि उसमें विद्युत धारा के प्रवाह के लिए अधिक स्थान होगा।
इस प्रकार यदि किसी ठोस आयताकार वस्तु के दो अलग-अलग सतहों के बीच प्रतिरोध मापा जाए, तो वह अलग-अलग हो सकता है, क्योंकि प्रत्येक दिशा में लम्बाई और क्षेत्रफल भिन्न हो सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में अक्सर विशिष्ट मान (specific values) के प्रतिरोधों की आवश्यकता होती है, जो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध नहीं होते। ऐसे में यांत्रिक विधियों (mechanical methods) द्वारा प्रतिरोधी पदार्थों को विशेष रूप से तैयार कर के आवश्यक प्रतिरोध बनाए जाते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में प्रयोग होने वाले प्रतिरोध दो प्रकार के हो सकते हैं:
- स्थिर प्रतिरोध (Fixed Resistors):
इनका मान तय होता है और यह परिवर्तित नहीं किया जा सकता। इन्हें परिपथों में वोल्टेज विभाजन, करंट सीमित करने और बायसिंग जैसी आवश्यकताओं के लिए उपयोग में लाया जाता है। - परिवर्ती प्रतिरोध (Variable Resistors):
इन्हें पोटेंशियोमीटर (Potentiometer) या रियोस्टैट (Rheostat) भी कहा जाता है। यह प्रतिरोध को मैन्युअली (हाथ से) समायोजित करने की सुविधा देते हैं। इनका उपयोग सामान्यतः ट्यूनिंग या कैलीब्रेशन के लिए किया जाता है।
🧮 सूत्र (Formula):
प्रतिरोध का गणितीय सूत्र ओम का नियम (Ohm’s Law) पर आधारित होता है:
R=ρLAR = \rho \frac{L}{A}R=ρAL
जहाँ:
- R = प्रतिरोध (Ohm में)
- ρ\rhoρ = प्रतिरोधकता (Resistivity) (Ohm-meter में)
- L = चालक की लम्बाई (मीटर में)
- A = चालक का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल (मीटर² में)
और सामान्य ओम का नियम:
V=I R
जहाँ:
- V = वोल्टेज (Volt)
- I = धारा (Current in Amps)
- R = प्रतिरोध (Ohm)
🔌 वास्तविक जीवन में प्रतिरोध का प्रयोग (Real-Life Applications of Resistors):
- पंखे के रेगुलेटर में:
रेगुलेटर में परिवर्ती प्रतिरोध (Variable Resistor) होता है जो पंखे की गति को नियंत्रित करता है। - मोबाइल चार्जर में:
चार्जर के भीतर छोटे-छोटे स्थिर प्रतिरोध होते हैं जो वोल्टेज को सीमित करने और सर्किट को सुरक्षित रखने का काम करते हैं। - LED सर्किट में:
एलईडी को जलाने के लिए एक विशिष्ट करंट की आवश्यकता होती है। ज्यादा करंट से एलईडी जल सकती है, इसलिए उसमें एक सीरीज़ में प्रतिरोध लगाया जाता है। - ऑडियो डिवाइस में:
वॉल्यूम कंट्रोल पोटेंशियोमीटर होते हैं जो ध्वनि की तीव्रता (volume) को नियंत्रित करते हैं। - हीटर में:
कुछ प्रतिरोधी पदार्थों से हीटर बनाए जाते हैं जो विद्युत ऊर्जा को ऊष्मा (heat) में बदलते हैं — जैसे गीजर या रूम हीटर।